दिन रात दौड़ती दुनिया में, जिंदगी के लिए ही वक्त नही।
माँ की लोरी का एहसास तो है, पर माँ को माँ कहने का वक्त नही।
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके, अब उन्हें दफ़नाने का भी वक्त नही।
सारे नाम मोबाइल में हैं, पर दोस्ती के लए वक्त नही।
गैरों की क्या बात करें, जब अपनों के लिए ही वक्त नही।
आंखों में है नींद बड़ी, पर सोने का वक्त नही।
दिल है ग़मौं से भरा हुआ, पर रोने का भी वक्त नही।
पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे, की थकने का भी वक्त नही।
पराये एहसासों की क्या कद्र करें, जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नही।
तू ही बता ऐ जिंदगी, इस जिंदगी का क्या होगा, की हर पल मरने वालों को, जीने के लिए भी वक्त नही.......
2 comments:
it is a very inspiring small little poem............ i liked it
hey.......thanx ur poem really helpd me 2 win a poem competition...i mst say gr8 thoughts n lyrics
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